Hindi Diwas 2023: हिंदी दिवस कविता, थीम, निबंध, भाषण

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हिंदी दिवस हर साल 14 सितम्बर को मनाया जाता है। ये दिन हिंदी भाषियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। अपनी सरलता और मधुरता के लिए जाने जानेवाली हिंदी भाषा भारतीय संस्कृति और जीवन शैली का एक अभिन्न अंग है। दुनिया की चौथी सबसे ज़्यादा बोले जानेवाली इस भाषा का ऐतिहासिक महत्व भी है। भारत में करीब हज़ार सालों से हो रहे उतार चढ़ाव की प्रत्यक्षदर्शी रही हिंदी विश्व की समृद्धतम भाषाओं में से एक है। आज के हमारे इस लेख के माध्यम से हम हिंदी दिवस (Hindi Diwas), हिंदी के महत्व, विकास आदि पर चर्चा करेंगे। अपने पाठकों से हमारा अनुरोध है कि इस लेख को अंत तक पढ़ें।

Hindi Diwas

हिंदी भाषा का महत्व (Hindi Diwas)

हिंदी दुनिया भर में सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली चौथी भाषा है। भारत के उत्तरी राज्यों में इसका एक विशेष महत्व है। भारत की प्राचीन भाषाओं में से एक संस्कृत भाषा से जन्मीं हिंदी आधुनिक भारत में जनमानस की भाषा बन चुकी है। विविधता से भरे इस राष्ट्र में हिंदी भाषा एक सूत्र की तरह है जो अलग अलग रहन सहन, मान्यता, विचार, खान पान आदि से जुड़े लोगों को बांध कर रखती है। ध्यान देने योग्य बात ये है कि हिंदी सरल है, इसे आसानी से बोला जा सकता है इसलिए भी इसका महत्व बना रहता है।

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हिंदी दिवस क्यों मनाते हैं ?

हिंदी दिवस 14 सितम्बर को, भारतीय संविधान के धारा 343 के तहत मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा की महत्ता को लोगों तक पहुँचाना और इसकी भूमिका को याद दिलाना है. हिंदी, भारत की राष्ट्रभाषा है, जो देशभर में अनेक भाषाओं के बावजूद सभी लोगों को एकत्रित करने का माध्यम है। हिंदी दिवस (Hindi Diwas) के दिन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम, समारोह और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जिनमें हिंदी भाषा की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की जाती है।

हिंदी दिवस का मनाना हमें हमारे सांस्कृतिक धरोहर को बचाने और प्रोत्साहित करने का अवसर प्रदान करता है, ताकि हमारी पीढ़ियां इस महत्वपूर्ण भाषा के महत्व को समझें और सही से बोल-चाल करें। इसके अलावा, यह दिन हमें अपनी राष्ट्रीय एकता और भाषा के महत्व को महसूस कराता है।

हिंदी दिवस थीम 2023 

विश्व हिंदी दिवस पर हर साल भारत सरकार एक नई थीम लाती है। विश्व हिंदी दिवस (Hindi Diwas) थीम 2023 इस प्रकार है:

“हिंदी को जनमत का हिस्सा बनाने के लिए, हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि किसी को अपनी मातृभाषा छोड़नी होगी।”

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हिंदी पर कविताएं

“मन के भावों को 

 थोड़ा सरलता से जो बतलाना हो

 शब्दों को मधुरम बना

जब विचारों को अलंकृत कर जाना हो

अव्यक्त अभिलाषाओं को 

पन्नों पर उकेर पाना हो,

हिंदी है सक्षम भावों को जीवंत कर जाने में

चाहे जब बोलना हो या शब्दों को

यूं ही पृष्ठों पर टहलाना हो!”

“भाषाओं के दिव्य भाल पर

भृकुटियों के मध्य चमकती

 मानों यह एक बिंदी है..

 शब्दों व भावों में मेल बिठाती

 जन जिह्वा की संगिनी,

कहलाती ये बोली, हिंदी है!”

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हिंदी की दुर्दशा पर कविता

“नवयुग के प्रांगण में मानो
गौरवशाली संस्कृति के गीत
सुनाती है
भावों को कर जीवंत
बड़ी सुगमता से विचारों को
बतलाती है
शब्दकोष रखती विशाल
सुंदर रचनाओं में फूंके है प्राण
किंतु आज हिंदी सिमटती है जा रही
संकुचित होती मानसिकता का मूल्य
हिंद की ये बोली है चुका रही..
निज भू वासी विदेशी वाणी में
हर्ष व संतोष हैं पा रहे
अनदेखी कर इस भाषा की
परदेसी जिह्वा से मन भरमा रहे…”

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हिंदी साहित्य पर कविता

“हिंदी.. भाषा नहीं एक भाव है

मानो जैसे किसी मनुज का निश्चल स्वभाव है

सरल, सुंदर, सहज रूप ले

साहित्य की गलियों में कलकल बहता

इसका वेग, बहाव है!

कभी चंद वरदायी की रासो में रस ये ले आती है

कभी कबीर के दोहों में मरीचि सी छा जाती है

कभी सूफी जायसी की पद्मावत को पदों से सजाती है

विद्यापति की मैथिली को ये तनिक और मीठा बनवाती है

कृष्णभक्त सूरदास की शब्दावली इससे सरस हो जाती है

यूं ही नहीं तुलसीदास जी की रचना कालजयी कहलाती है

बिहारी की सतसई भी हिंदी के गुणगान गाती है

कभी केशवदास के काव्य में हिंदी मंद मंद मुस्काती है!

घनानंद के ग्रंथों की व्यंजना हिंदी को गले लगाती है

रसखान की भक्ति को हिंदी अलंकारों से सजाती है

हिंदी कभी मीरा को उनके गिरधर से मिलवाती है

कुम्भन दास के भावों का प्रभाव हिंदी अनवरत बढ़ाती है

संत रैदास के बोलों को हिंदी मर्मस्पर्शी बनाती है

रहीम के दोहों की छवि हिंदी सान्निध्य में सटीक बन जाती है

कभी माखनलाल चतुर्वेदी की कविता को सरल दर्शाती है

कभी सूर्यकांत त्रिपाठी को निराला बना ये जाती है!

हो नाटक या काव्य कोई प्रसाद का, हिंदी इनमे जान दे भर पाती है

छायावादी महादेवी वर्मा की शैली हिंदी ही तो विशिष्ट बनाती है!।

बच्चन जी की मधुशाला की आभा बन उर को छू आती है

बन मैथलीशरण की भारत भारती ओज उत्सर्जित कर जाती है!

प्राकृतिक तत्वों का कर मानवीकरण पंत की रचना
सजीव कर पाती है..

वीर रस और प्राज्ञ का मेल बना लेखनी में,

दिनकर को राष्ट्रकवि बनाती है!

इन विभूतियों सम ही ऐसे हैं कई नाम बड़े

जिनकी कलम की स्याही ने हिंदी से है शब्दों में प्राण भरे!

हिंदी-सौष्ठव से साहित्य का एक बड़ा भू भाग सुसज्जित है…

सरल, सहज, सुघड़, स्पष्टता का

ऐसा सुंदर समाहार और कहां उपस्थित है!”

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हिंदी दिवस पर भाषण

उपस्थित मित्रगणों को हिंदी दिवस की ढेरों बधाईयां!

मित्रों! आज हम सभी हिंदी दिवस के रूप में महत्वपूर्ण दिन मना रहे हैं। हिंदी भाषा, हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हमें अपनी भाषा हिंदी के प्रति गौरवांवित होना चाहिए। हिंदी वो भाषा है जिसकी जड़ें तो प्राचीन हैं पर इसका विकास आधुनिक युग में हुआ है। हिंदी ने पिछले सैंकड़ों वर्षों में भारतवर्ष में हुए कई उतार चढ़ाव देखे हैं।

दोस्तों, हिंदी भाषा का अत्यधिक महत्व इसलिए हो जाता है क्योंकि ये भारत के एक बड़े हिस्से में बोली जाती है, जनमानस द्वारा समझी जाती है।

यह भाषा न केवल हमारे व्यक्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन का भी अंतरंग हिस्सा है। इस भाषा की खास बात ये है कि इस के माध्यम से हम अपने भावनाओं और विचारों को बड़ी ही सरलता से व्यक्त कर सकते हैं।

हमें यह ज्ञान होना चाहिए कि हिंदी भाषा का प्रयोग सिर्फ अपने व्यक्तिगत उन्नति के लिए ही नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और गरिमा के लिए भी आवश्यक है।

आज हमें हिंदी भाषा बढ़ावा देने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। आनेवाली पीढ़ी को इस भाषा में बोलने और लिखने का प्रयास अवश्य करवाना चाहिए, ताकि बदलते समय के साथ हिंदी किसी धरोहर की तरह हमारे साथ बनी रहे।

हम सभी को हिंदी दिवस के इस विशेष अवसर पर हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार का संकल्प लेना होगा। हिंदी को एक दिन नहीं अपितु, हर दिन सम्मान देना होगा।

धन्यवाद!

हिंदी दिवस पर निबंध

हिंदी दिवस हर साल 14 सितंबर को आधिकारिक तौर पर मनाया जाता है। इसकी शुरुआत साल 1974 में हुई थी। हिंदी दिवस का पहला आयोजन नागपुर में हुआ था। इसका उद्देश्य हिंदी को बढ़ावा देना है।

दोस्तों, हिंदी दिवस एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन है जब हम हिंदी भाषा के महत्व को दोहराते हैं और इसके प्रचार प्रसार के लिए अपनी प्रतिबद्धता दिखाते हैं।

हिंदी हमारी संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। हिंदी हमारे देश, भारत की पुरानी भाषाओं में से एक है। इसका प्रयोग आम जीवन में वार्तालाप, सरकारी कामकाज, शिक्षा आदि के लिए होता आया है। हिंदी की अनदेखी का अर्थ अपनी सांस्कृतिक धरोहर को खोने के समान है।

हिंदी दिवस के प्रचार प्रसार के लिए हम इस तरह के प्रेस कर सकते हैं:
हिंदी की प्रशंसा करें, विदेशी भाषाओं के आगे इसको नज़रंदाज़ न करें।
हिंदी को बढ़ावा दें। अपने बच्चों के साथ हिंदी में बात ज़रूर करें।
अगर हिंदी में कमज़ोर हैं तो हिंदी को सीखें।
हिंदी का सही उपयोग करें, उच्चारण पर ध्यान दें।

FAQs

हिंदी पर स्लोगन?

“हिंदी भाषा बड़ी निराली है
 भावों और शब्दों की ये पक्की आली है”

हिंदी पर शायरी?

“बात हो जब कम शब्दों में
 भावों को भर जाने की..
 तब आती है बारी हिंदी के
 रंग जमाने की!”

हिंदी दिवस कब मनाया जाता है?

10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस और 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस (Hindi Diwas) मनाया जाता है.

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