सुधा मूर्ति की कहानी – Sudha Murthy biography in hindi

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किसी किताब में लिखा है कि “जिन्दगी एक इम्तिहान है, जिसका पाठ्यक्रम पता नहीं होता और जिसके सवाल भी तय नहीं होते न कोई मॉडल पेपर होता है”. ये लाइन सूधा मूर्ति के जिंदगी पर बिलकुल सटीक बैठती है। किसे पता था एक कंपनी में काम करने वाली लड़की की किस्मत ऐसे चमक जाएगी. इतनी परेशानी आने के बाद भी उन्होंने अपनी सादगी और समझदारी के बदौलत आखरिकार सफलता को हासिल कर ही लिया। और आज देखिए वो कई सारी महिलाओं की प्रेरणा है।

इतना ही नहीं सुधा मूर्ति हमारे देश की उन महिलाओं में से हैं जो महिला सशक्तिकरण की एक बहुत बड़ी मिसाल हैं। वो हर चीज़ में बिलकुल परफेक्ट हैं. वो  एक परफेक्ट हाउसवाइफ,बिजनेस पार्टनर और मां है। इतना ही नहीं वो हमारे देश की हर मुश्किल में बिना सोचे समझे साथ खड़ी रहती हैं। वैसे तो ये किसी इंट्रोडक्शन की मोहताज़ नहीं हैं लेकिन इनकी जीवनी पढ़ने के बाद आप यकीनन समझ जाएंगे कि बिना मेहनत इस जीवन में कुछ आसान नहीं है। सफलता हासिल करने से पहले परेशानी झेलनी ही पड़ती है। तो चलिए पाठकों इस लेख सुधा मूर्ति की कहानी के माध्यम से सुधा मूर्ति के जीवन परिचय पर एक नज़र डालते हैं.

सुधा मूर्ति का जीवन परिचय (Sudha Murthy biography in hindi)

नामसुधा मूर्ति
जन्म19 अगस्त 1950
जन्म स्थानहावेरी,कर्नाटक 
नागरिकताभारतीय
उम्र (Age)73
वैवाहिक स्थितिविवाहित
जाति (Caste)ब्राह्मण 
धर्महिंदू
शिक्षाइलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक, कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स डिग्री
पेशाशिक्षिका, बिजनेसपर्सन, लेखक, Philanthropist
माता पिता डॉ. आर. एच. कुलकर्णी, विमला कुलकर्णी
भाई बहनसुधा कुलकर्णी,श्रीनिवास कुलकर्णी 
कद5’2 inches 
आंखों का रंगकाला
वजनअज्ञात है 
नेट वर्थ775 करोड़   
रोल मॉडलजेआरडी टाटा 

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सुधा मूर्ति का जन्म, बचपन, शिक्षा (Sudha Murthy Birth, Education)

मिसेज सुधा का जन्म 19 अगस्त 1950 को कर्नाटक के शिगगाँव में हुआ था। आपकी जानकारी के लिए बता दे सुधा मूर्ति ने बी.वी.बी. कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से बी.ई. में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग कि शिक्षा पूरी की। इस पढ़ाई में उन्होंने प्रथम स्थान मिला। इतना ही नहीं उन्हें कर्नाटक के मुख्यमंत्री से स्वर्ण पदक भी मिला। सुधा मूर्ति ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और उसके बाद भारतीय विज्ञान संस्थान से कंप्यूटर विज्ञान में एम. ई. की पढ़ाई की। यहाँ पर भी उन्हें प्रथम स्थान मिला।  

सुधा मूर्ति के माता-पिता, परिवार (Sudha Murthy Family, Husband)

सुधा मूर्ति के पिता का नाम डॉ. आर. एच. कुलकर्णी और माता का नाम विमला कुलकर्णी है। पेशे की बात करें तो उनके पिता एक सर्जन थे और उनकी माता ग्रहणी थी। सुधा कुलकर्णी के एक भाई है जिनका नाम श्रीनिवास कुलकर्णी है। साथ ही उनकी दो बहने भी हैं जिनका नाम सुनंदा कुलकर्णी और जयश्री देशपांडे है। उनके भाई एस्ट्रोनामर्स हैं। उनकी एक बहन गायनेकोलॉजिस्ट और दूसरी बहन सोशल एक्टिविस्ट हैं। 

सुधा मूर्ति की शादी नारायण मूर्ति के साथ हुई और उनके दो बच्चे हैं। इनके बेटे का नाम रोहन मूर्ति है और बेटी का नाम अक्षता मूर्ति है। उनके बेटे रोहन मूर्ति “मूर्ति क्लासिकल लाइब्रेरी” के संस्थापक हैं। अक्षता मूर्ति की शादी ऋषि सुनक से हुई है, जो अभी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री है. 

Sudha Murthy Career (सुधा मूर्ति करियर)

पढ़ाई पूरी करने के बाद सुधा मूर्ति ने भारत की सबसे बड़ी ऑटो कंपनी टाटा इंजीनियरिंग और लोकोमोटिव कंपनी में काम करना शुरू किया। वो वहां जॉब करने वाली सबसे पहली महिला इंजीनियर थी। उन्होंने डेवलप्मेंट इंजीनियर  के तौर पर कंपनी में किया। पुणे के अलावा उन्होंने मुंबई और जमशेदपुर में भी काम किया। टाटा मोटर्स कंपनी में काम करने के बाद उन्होंने वालचंद ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज में analyst के रूप में काम किया।

सुधा मूर्ति की कहानी

दरअसल शुरुआत के वक़्त से ही नारायण मूर्ति जी अपना खुद का कारोबार करना चाहते थे लेकिन पैसों की किल्लत की वजह से नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने यह बात सुधा जी के सामने रखी। इसी के बाद सुधा मूर्ति ने उन्हें बिज़नस शुरू करने को कहा। उन्होंने ना सिर्फ कहा बल्कि 10 हज़ार जमा पूंजी भी नारायण मूर्ती को दी और कुछ ऐसे हुई इंफोसिस (Infosys) की शुरूआत। वो भी इस कंपनी में काम करना चाहती थी लेकिन उस वक़्त उनके पति नारायण मूर्ति ने कहा कि वो दोनों एक ही साथ उस कंपनी में काम नहीं कर सकते हैं।

साथ ही बच्चे भी छोटे-छोटे हैं तो उनकी देख-भाल कौन करेगा। इसी के वजह से सुधा मूर्ति ने ख़ुशी ख़ुशी अपने करियर को छोड़ दिया और नारायण मूर्ति का साथ दिया। लेकिन फिर साल 1996 में सुधा और उनकी दोस्त ने मिल कर एक non profit organisation खोला। इस आर्गेनाईजेशन का नाम था इंफोसिस फाउंडेशन (Infosys foundation). इस फाउंडेशन का काम था शिक्षा, ग्रामीण विकास स्वास्थ्य सेवा, कला और संस्कृति और जिनके पास घर नहीं है उनको सहायता प्रदान करना। 

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सुधा मूर्ति के बारे में रोचक जानकारी (Interesting facts about Sudha Murthy)

ये सभी तो वो बातें थी जो आम-तौर पर आपको कहीं न कहीं से पता ही चल ही जाएंगी। लेकिन अब हम आपको सुधा मूर्ति के कुछ रोचक तथ्य के बारे में बताएंगे जिसके बारे में आपने आज तक नहीं सुना होगा।

कोरोना के दौरान मदद –

ये बात बहुत कम लोग जानते हैं कि कोरोना के दौरान सुधा मूर्ति ने 100 करोड़ रुपए की मदद की थी। उस मुश्किल घड़ी में इनफोसिस फाउंडेशन ने ये ऐलान किया है कि उनके द्वारा 100 करोड़ रुपए दान किए जाएंगे। 50 करोड़ रुपए PM Cares Fund में दिए गए। बाकी बचे हुए 50 करोड़ रुपए भारत की असपताल सेवाओं को सुधारने के लिए दिए गए।   

परिवार की खातिर जॉब छोड़ी –

ये बात खुद सुधा मूर्ति के पति नारायण मूर्ति ने इंटरव्यू में कहा था कि सुधा ने उनके और बच्चों के लिए अपना करियर छोड़ा था। नारायण मूर्ति के हिसाब से उस वक़्त सुधा मूर्ति बहुत अच्छे पोजीशन पर काम कर रही थी और उस वक़्त इनफोसिस शुरू हुआ था। ऐसे में अगर दोनों काम करते तो बच्चों की देखभाल सही से नहीं हो पाती। इसलिए सुधा मूर्ति ने अपने करियर को साइड कर पहले अपने पति और बच्चों को चुना।

टाटा ग्रुप को चिट्ठी लिखी –

आपको जानकर हैरानी होगी कि सुधा मूर्ति ने टाटा समूह को एक पोस्टकार्ड भेजा था। इसमें उन्होंने इस बात की शिकायत की थी कि कंपनी में सिर्फ पुरुष कर्मचारियों को ही नौकरी पर क्यों रखा जाता है। जब यह पोस्टकार्ड टाटा समूह के हाथ लगा तो कंपनी ने सुधा मूर्ति को एक स्पेशल इंटरव्यू के लिए बुलाया और फिर उन्हें टाटा समूह में शामिल कर लिया था।

इंफोसिस फाउंडेशन (Infosys foundation) –

इस संस्था ने बाढ़ वाले इलाके में  करीब 2300 घरों को बनाने में मदद की है। इस फाउंडेशन ने हमारे देश में 70 हज़ार लाइब्रेरी बनाया है।

फिल्म में काम किया –

साल 2006 सुधा मूर्ति ने एक कन्नड़ सीरियल में जज का रोल निभाया था। उन्होंने साल 2017 में एक मूवी में भी काम किया था। उस मूवी का नाम है उप्पू हुली खरा।

सुधा मूर्ति की किताबें

देखा जाए तो सुधा मूर्ति ने कई सारी किताबें लिखी हैं, जैसे सामनाराल्ली असमान्यारू,तामुला, डॉलर सोस आदि। लेकिन हम आपको कुछ पुस्तकों के बारे में बताएंगे जो काफी मशहूर हैं।

  • डॉलर बहू – आपकी जानकारी के लिए बता दे “डॉलर बहू” एक ऐसी कहानी है जहाँ बताया गया है कि लोग एक-दूसरे को कैसे देखते हैं। यह कहानी सुधा मूर्ति की विख्यात कहानी में से एक है। असल में यह कहानी एक विनीता नाम की औरत की है। इस कहानी में प्यार और विश्वास से कैसे रिश्तों को जीता जा सकता है इसके बारे में बताया गया है।
  • महाश्वेता – महाश्वेता पुस्तक भी सुधा मूर्ति की सबसे लोकप्रिय पुस्तकों में से एक है। इस पुस्तक में भ्रम और विश्वासघात से प्रभावित दुनिया में साहस की कहानी है। 
  • वाइज एंड अदरवाइज – आपकी जानकारी के लिए बता दे वाइज एंड अदरवाइज सुधा मूर्ति की ऐसी बुक है जो सबसे ज्यादा लोगों ने पढ़ा है।इस पुस्तक में आपको वास्तविक जीवन की घटनाओं का संग्रह मिलेगा है।

FAQ 

सुधा मूर्ति कौन है?

इंफोसिस फाउंडेशन की को-फाउंडर सुधा मूर्ति जी है, जो साथ ही शिक्षिका, लेखिका और एक फिलैंथरोपिस्ट भी हैं।

सुधा मूर्ति 10 डाउनिंग स्ट्रीट?

आपकी जानकारी के लिए बता दे 10 डाउनिंग स्ट्रीट, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का निवास है और इस जगह पर कई सारे आधिकारिक कार्यालय भी है। साथ ही यह वो स्थान है जहाँ ब्रिटेन के नेता दुनिया के प्रसिद्ध  हस्तियों और महामहिम राजा के मेहमानों की मेजबानी करते हैं। बात अगर सुधा मूर्ति की करें तो एक बार जब वो बीते दिनों बेटी और दामाद से मिलने ब्रिटेन गई थीं तो एयरपोर्ट पर अधिकारी मानने को तैयार नहीं थे कि लंदन में उनका पता 10 डाउनिंग स्‍ट्रीट है। असल में सुधा मूर्ति की बेटी अक्षता की शादी ब्रिटेन के प्राइम मिनिस्टर से ऋषि सुनक से हुई है।  

सुधा मूर्ति किस लिए प्रसिद्ध है?

मिसेज मूर्ति कन्नड़ और अंग्रेजी में साहित्य में उनके योगदान के मशहूर है। उनके द्वारा लिखी गयी पुस्तक डॉलर डॉटर इन लॉ काफी मशहूर थी। इसे कन्नड़ भाषा में लिखा गया था लेकिन ये लोगों को इतना पसंद आयी कि बाद में इसे अंग्रेजी में ट्रांसलेट किया गया। 

नारायण मूर्ति सुधा जी से कैसे मिले?

सुधा जी नारायण मूर्ति की तस्वीर हर  मैगजीन में देखती थी, जो अलग अलग जगह कि होती थी. सुधा जी को लगा नारायण मूर्ति अंतराष्ट्रीय बस कंडक्टर है. सुधा जी नारायण मूर्ति से अपनी एक दोस्त के द्वारा मिली थी. 

सुधा मूर्ति अभी क्या कर रही है?

मिसेज सुधा इनफ़ोसिस फाउंडेशन चलाती है, जिसके अंतर्गत गरीब बेसहारा लोगों की मदद की जाती है. 

सुधा मूर्ति के दामाद का क्या नाम है?

ऋषि सुनक, जो ब्रिटेन के प्रधानमंत्री है.

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