अटल टनल क्या है? जानिए, क्यों है ये टनल ख़ास (Atal Tunnel History in hindi)

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टनल तो विश्व में कई सारे हैं जो अपनी अलग-अलग विशेषता के कारण दुनिया भर में मशहूर हैं। लेकिन हमारे भारत में एक ऐसा टनल बनाया गया है जो अब पूरी दुनिया में मशहूर हो चूका है। पीर-पंजाल की पहाड़ी को भेद कर 3200 करोड़ की लागत से देश का मान बनी यह टनल दुनिया के सभी टनल को मात देती है। भारत के जिस टनल की बात हम कर रहे हैं उस टनल का नाम है अटल टनल।

 अटल टनल को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स ने दुनिया की सबसे लंबी यातायात टनल का सम्मान दिया है। भारत में जब से इस अटल टनल का निर्माण हुआ है तब से यह पर्यटकों की सबसे पहली पसंद बन चूका है।  मनाली जाने वाला लगभग हर पर्यटक इसके दीदार के लिए जरूर जाता है। 

यही नहीं, यह दुनिया की पहली ऐसी टनल है, जिसमें आपको 4जी कनेक्टिविटी मिलती है।आज के हमारे इस लेख में हम आपको अटल टनल (अटल टनल क्या है) के बारे में सब कुछ बताएंगे। 

नामअटल टनल (सुरंग)
कहाँ स्थित हैमनाली, हिमाचल प्रदेश
अटल टनल का पुराना नामरोहतांग सुरंग
अटल टनल की लम्बाई9.02 किलोमीटर
किस पर्वत श्रेणी में हैहिमालय के पूर्वी पीर पंजाल पर्वत 
लागत3200 करोड़
किस राज्य में स्थित हैहिमाचल प्रदेश
ऊंचाईसमुद्र तल से 10044 मीटर ऊंचाई

अटल टनल क्या है?

कई सारे लोग हैं जिनके मन में ये सवाल जरूर होता है कि आखिर ये टनल है क्या? आप में से जिन भी लोगों को मन में ये सवाल हैं हम उन्हीं बता दे अटल टनल विश्व की सबसे बड़ी टनल है, जिसकी लंबाई 9.02 किलोमीटर है।

 इस टनल को रोहतांग सुरंग के नाम से भी जानते हैं। इस टनल को मनाली लेह राजमार्ग पर रोहतांग दर्रे के नीचे बनाया गया है। यह टनल लेह को मनाली से सीधे जोड़ती है। यह अटल टनल सुरंग घोड़े के नाल के आकार की है।

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अटल सुरंग किस दर्रे में है

अटल टनल रोहतांग दर्रे में है। ये टनल हिमालय की पहाड़ी चोटियों को आराम से पार करने में मदद करता है। यानि इसकी मदद से लद्दाख, मनाली, लाहौल स्पीति आदि क्षेत्र आसानी से जाए जा सकते हैं। 

दोस्तों, इस टनल में सुरक्षा एवं संचार के बेहतरीन उपाय हैं। इस दुर्गम स्थल संचार कर आपात काल में मदद की जा सकती है। कोशिश की गई है कि अटल टनल पर्यटन और व्यापार के लिए अनुकूल रहे।

अटल टनल का इतिहास

टनल (अटल टनल क्या है) का इतिहास पुराना है। इसे स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद में चर्चा की गई। 1960 में प्रधानमंत्री नेहरू जी ने रोहतांग दर्रे के लिए रस्सी के रास्ते की चर्चा की, लेकिन इस पर कोई प्रगति नहीं हुई।

अटल बिहारी वाजपेयी ने 2000 में प्रधानमंत्री बनते ही अटल टनल के निर्माण की घोषणा की। मुख्य आधाशिला 2002 में रखी गई और इसकी लागत 500 करोड़ रुपये रखी गई। लेकिन अब तक टनल का काम पेड़ की कटाई तक बढ़ नहीं पाया। इसके बाद कांग्रेस सरकार आई और मनमोहन सिंह ने ऑस्ट्रेलियाई कंपनी SMEC को टनल का निर्माण करने का कांट्रैक्ट दिया। इसका निर्माण 2014 तक बढ़ाया गया, लेकिन फिर भी काम नहीं आगे बढ़ा और टनल तैयार नहीं हुआ।

सितंबर 2009 में एएफसीओएनएस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और एसटीआरएएबीएजी एजी, ऑस्ट्रिया को टनल का निर्माण करने के लिए चुना गया। 15 अक्टूबर 2017 को अटल टनल का निर्माण पूरा हुआ, जो दुनिया की सबसे ऊँची सुरंग है। 25 दिसंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाजपेयी के जन्मदिन पर इसे अटल सुरंग के नाम से जाना जाने लगा, और 3 अक्टूबर 2020 को टनल का उद्घाटन हुआ।

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अटल सुरंग का निर्माण 

बात अगर निर्माण की करें तो अटल टनल को एफकोन्स कंपनी द्वारा बनाया गया है। इस टनल को बनाने में 1000 वर्कर और 150 इंजीनियर लगे थे। डिज़ाइन की बात करें तो इस पुल का डिजाइन ऑस्ट्रेलिया की इंजीनियरिंग कंपनी स्नोवे माउनटेन ने बनाया है। पहले इस टनल को बनाने के लिए 1500 करोड़ की लागत आंकी गई थी, लेकिन फिर इसकी लागत 3200 करोड़ तक पहुँच गई.

आपको जानकर हैरानी होगी कि इस टनल को बनाने में 14,508 मैट्रिक टन स्टील का यूज़ किया गया है। इन सब के साथ ही साथ इस टनल में 2,37596 मैट्रिक टन सीमेंट का इस्तेमाल किया गया है। आपकी जानकारी के लिए बता दे इस टनल को गुफा का लुक न्यू ऑस्ट्रेलियन टनलिंग मैथेड द्वारा दिया गया है। 

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अटल टनल की विशेषताएं

वैसे तो अटल टनल में कई सारी विशेषता हैं। आज हम आपके सामने इसकी कुछ अहम विशेषता बताएंगे जिसको जानने के बाद आप सोच में पड़ जाएंगे:

  • यह अटल टनल 9.02 किमी लम्बी है और 10.5 मीटर चौड़ी है।
  •  जिसमें दोनों तरफ 1-मीटर फुटपाथ है।
  • इस सुरंग में बहुत सारी सुरक्षा दी गयी हैं। 
  • अटल टनल में हर 150 मीटर पर टेलीफोन कनेक्शन, हर 60 मीटर पर अग्नि हाइड्रेंट मशीन  है।
  •  सभी 250 मीटर पर सीसीटीवी कैमरों के साथ घटना की पहचान करने की प्रणाली  है।
  •  हर एक किलोमीटर पर वायु गुणवत्ता की निगरानी करने के सिस्टम लगे हैं।
  •  इसमें आपातकालीन निकास सुरंग भी शामिल है।
  • इस अटल टनल को करीब 3,200 करोड़ की लागत से इसे बनाया गया है।  
  • इस का नाम पूर्व भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर है।
  • आपको जानकर हैरानी होगी कि इस सुरंग से रोजाना  3000 कारें और 1500 ट्रक आसानी से निकल सकते है।  
  • आप इस टनल में ज्यादा से ज्यादा 80 किलोमीटर और मिनिमम 30 किलोमीटर प्रति घटा रखी गयी है। 
  • आपको इस टनल में हर 50 मीटर की दूरी पर फायर रेटिड डैम्पर्स लगे मिलेंगे। 
  • यह अटल टनल पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़कर रखने में मदद करेगी। 
  • यह दुनिया की पहली ऐसी सुरंग है, जिसके अंदर 4जी कनेक्टिविटी है.

अटल टनल बनने से पहले यह घाटी बर्फबारी के कारण हमारे देश से लगभग 6 महीने तक अलग-थलग रहती थी। इसके वजह से आम नागरिक को परेशानी का सामना करना पड़ता था। दुनिया की सबसे लंबी सुरंग आज देश का गौरव बन चुकी है। पहाड़ को काट कर गुजरने वाली अटल सुरंग सिसु और सोलंग घाटी की दूरी कम करने में अहम भूमिका निभाती है। ये सुरंग सरकार के तरफ से एक सराहनीय और दूरदर्शनीय कदम है।

FAQs

अटल टनल का उद्घाटन कब हुआ?

उद्घाटन 3 October 2020 को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने किया था।

अटल सुरंग कितनी लंबी सुरंग है?

टनल 9.02 km लंबी है।

अटल टनल के पास कौन सी नदी बहती है?

टनल के पास चंद्रा नदी बहती है।

अटल टनल कहाँ बना है?

टनल मनाली-लेह राजमार्ग पर बना हुआ है।

अटल सुरंग कौन से दर्रे में है?

सुरंग का निर्माण हिमालय के पूर्वी पीर पंजाल पर्वत में रोहतांग दर्रे के नीचे किया गया है।

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