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भारत एक प्राचीन देश है। इसकी संस्कृति और उससे जुड़ी कलाकृतियां हमेशा ही अपने रहस्यों से हमें चौकाती हैं। इतिहास और कला के अलावा भारतीय संस्कृति में श्रद्धा और विश्वास का भी एक महत्वपूर्ण स्थान है। श्रद्धा, विश्वास और चमत्कार से जुड़ा एक ऐसा ही धार्मिक स्थल है मां कामाख्या देवी का मंदिर। कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य, मूर्ति, इतिहास आदि हमेशा ही चर्चा का विषय रहा है। 51 शक्तिपीठों में से एक कामाख्या देवी मंदिर नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है। श्रद्धालुओं के लिए कामाख्या देवी मंदिर एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। दोस्तो, आज हम आपको कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य, इतिहास और अन्य जानकारियां देंगे। तो इस लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ें।
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कामाख्या देवी मंदिर ki जानकारी
मंदिर का नाम | कामाख्या देवी मंदिर |
महत्व | कामाख्या देवी मंदिर के स्थान पर माता सती के गर्भ और योनि गिरे थे। |
पता | माँ कामाख्या देवालय, गुवाहाटी, असम, भारत, पिन-781010 |
सिटी | गुवाहाटी |
राज्य | असम |
देश | भारत |
प्रवेश शुल्क | सामान्य प्रवेश नि: शुल्क |
प्रसिद्ध पूजा | तांत्रिक पूजा |
मंदिर का समय | 05:30 AM से 01:00 PM – 02:30 PM से 05:30 PM |
दर्शन टिकट बुकिंग | सभी भक्तों के लिए मुफ्त दर्शन उपलब्ध है। |
त्यौहार | अंबुबाची मेला, दुर्गा पूजा |
ड्रेस कोड | कोई भी सभ्य पोशाक या कपडे |
मंदिर जाने का समय | सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच में होता है। |
कामाख्या देवी मंदिर कहा है
कामाख्या देवी मां का मंदिर नीलांचल पहाड़ी पर है। ये असम राज्य में गुवाहाटी में स्थित है। कामाख्या देवी मंदिर (कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य) भारत में सर्वोच्च शक्तिपीठों में से एक है। ये मंदिर तांत्रिक समुदाय के लिए बहुत शुभ है। इस मंदिर को 8-17 वीं शताब्दी के बीच कई बार पुननिर्मित किया गया है।
मां कामाख्या देवी का मंदिर गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर है। इस मंदिर तक आप रेल, वायु अथवा सड़क मार्ग से जा सकते हैं।
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कामाख्या देवी मंदिर का इतिहास
कामाख्या देवी मंदिर का इतिहास इस प्रकार है:
- कामख्या देवी मंदिर भारत के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। मान्यताओं के अनुसार मंदिर का निर्माण 8-9 वीं शताब्दी में मलेच्छ वंश के शासनकाल में हुआ था।
- कामरूप के कई राजा तांत्रिक पंथ के समर्थक थे। जिसके चलते कामाख्या देवी मंदिर तांत्रिक का एक प्रमुख स्थल बन गया।
- कालिका पुराण की रचना के बाद कामाख्या देवी मंदिर का तांत्रिक यज्ञ आदि के महत्व और भी बढ़ गया।
- वज्रयान (बौद्ध धर्म) उसी समय अस्तित्व में आया। तिब्बत के कई बौद्ध गुरुओं को भी यहां से संबंधित माना जाता है।
- हुसैन शा के आक्रमण से कामाख्या देवी का मंदिर नष्ट हो गया था। 1500 के दशक तक ये महान मंदिर खंडर के रूप में रहा।
- कोच राजवंश के राजा विश्वसिंह ने इस मंदिर को पुनर्स्थापित किया। तब से कामाख्या देवी मंदिर विश्वभर में हिंदुओं के लिए उनके पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है।
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कामख्या देवी मंदिर जब जाना चाहिए
कामाख्या देवी मंदिर गुवाहाटी के लोकप्रिय स्थलों में से एक है। यहां तीर्थयात्री साल भर आते हैं। लेकिन गुवाहाटी आने के लिए सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच में होता है। इस मौसम में ज़्यादा गर्मी नहीं होती इसलिए पर्यटक आसानी से घूम सकते हैं।
कामाख्या देवी मंदिर कब बंद रहता है
दोस्तो, मां कामाख्या देवी का मंदिर (कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य) आषाढ़ के सातवें से ले कर दसवें दिन तक बन रहता है। ऐसी मान्यता है कि इस काल में देवी मासिक धर्म से गुजर रही होती हैं। इस समय माता के भक्त भी कुछ प्रतिबंधों को मानते हैं। इनमें खेती नहीं करना, पूजा नही करना, पवित्र ग्रंथ नहीं पढ़ना आदि शामिल होते हैं।
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कामाख्या देवी की मूर्ति
दोस्तो, कामाख्या देवी मंदिर की कई खास बातों में एक खास बात है कि यहां कोई मूर्ति नहीं है। जी हां। इस मंदिर में माता के योनि भाग का पूजन होता है। मां कामख्या का मंदिर तंत्र मंत्र के लिए विश्व प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि देवी सती का गर्भ और योनि इस स्थान पर गिरा था। कुछ लोग मानते हैं कि ये वही स्थान है जहां पर भगवान शिव और माता सती को प्रेम हुआ था। चूंकि संस्कृत भाषा में काम का अर्थ प्रेम है, इसलिए इस मंदिर का नाम कामाख्या देवी है, ऐसा माना जाता है।
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कामख्या देवी की विशेषता
गुवाहाटी स्थित कामाख्या देवी मंदिर अन्य शक्ति पीठों से थोड़ा अलग है। इस मंदिर की प्रमुख विशेषताएं (कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य) इस प्रकार हैं:
- शुक्रवार के दिन माता कामख्या के मंदिर जाना शुभ माना गया है।
- कामाख्या देवी मंदिर में तांत्रिकों की मौजूदगी भारी मात्रा में होती है।
- कामाख्या देवी मंदिर के स्थान पर माता सती के गर्भ और योनि गिरे थे।
- यहां देवी के रजस्वला वाले वस्त्र भक्तों को प्रसाद की तरह मिलते हैं।
- मां कामाख्या के मंदिर प्रांगण में अन्य देवियों के मंदिर भी हैं। इनमें माता बगुलामुखी, धूमावती, छिन्मस्तिका, कमला आदि के मंदिर शामिल हैं।
- मान्यता है कि इस मंदिर में हर भक्ति की कामना पूरी होती है।
- कामाख्या देवी मंदिर से कुछ आगे उमानंद भैरव का मंदिर भी स्थित है। इस मंदिर का भी दर्शन करना महत्वपूर्ण माना जाता है।
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कामख्या देवी मंदिर का रहस्य
कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य बड़ा ही आश्चर्यचकित करता है। इनमें से कुछ रहस्य हम आपको बताते हैं:
- तांत्रिकों का प्रिय मंदिर: मां कामाख्या का मंदिर तांत्रिकों का एक महत्वपूर्ण सिद्धपीठ है। माता कामाख्या विभिन्न संप्रदायों की कुल देवी भी हैं। ये स्थल साधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
- पत्थर से खून की धारा: मंदिर के दूसरे हिस्से में एक पत्थर है जिससे महीने में एक बार रक्त की धारा आती है। मान्यता है कि यहां तीन दिनों तक देवी का मासिक धर्म चलता है।
- खास उपहार: जब देवी का मासिक धर्म होता है तो एक सफेद वस्त्र देवी के दरबार में रखा जाता है। तीन दिनों बाद ये कपड़ा लाल हो जाता है। इसी कपड़े को प्रसाद में भक्तों को दिया जाता है।
- आनंद भैरव का मंदिर: माता कामाख्या देवी के दर्शन के बाद इस मंदिर का दर्शन करना अनिवार्य है, अन्यथा यात्रा पूरी नहीं मानी जाएगी।
- अंबुवाची मेला: हर साल यहां आषाढ़ में अंबुवाची मेला लगता है। इस दौरान ब्रह्मपुत्र नदी का पानी लाल हो जाता है।
दोस्तो, आज के लेख में हमनें कामाख्या देवी मंदिर का रहस्य, इतिहास और खास बातें आप तक पहुंचाई। उम्मीद है ये लेख ज्ञानवर्धक रहा होगा। ऐसी और भी जानकारियों के लिए हम से जुड़ें।
FAQs
गुवाहाटी से कामाख्या मंदिर की दूरी क्या है?
7 किमी की दूरी।
कामाख्या मंदिर कब जाना चाहिए?
सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच में होता है।
कामाख्या स्टेशन से कामाख्या मंदिर की दूरी क्या है?
2 किमी की दूरी।
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