मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री , कथा, उद्यापन पूजा विधि 2023

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दोस्तो, मंगला गौरी व्रत सावन के महीने में प्रत्येक मंगलवार को रखा जाता है। इस व्रत को महिलाओं द्वारा किया जाता है। सावन के पवित्र मास में हर मंगलवार को इस व्रत को रख कर सुहागिनें माता गौरी से अपने पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं। हर साल अमूमन चार या पांच मंगला गौरी व्रत पड़ते हैं। पर इस बार सावन में 9 मंगलवार हैं इसलिए मंगला गौरी व्रत नौ बार किए जा सकते हैं। कारण ये है कि इस बार सावन के महीने में अधिक मास है। तो आइए पाठकों इस आर्टिकल के माध्यम से मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री, कथा, उद्यापन विधि आदि के बारे में विस्तार से समझिए।

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मंगला गौरी व्रत 2023

साल 2023 में सावन में अधिक मास है जिसके चलते सावन 59 दिनों का है। इस हिसाब से मंगला गौरी व्रत 2023 नौ बार यानि नौ मंगलवार पड़ेगा। आपको बता दें कि पहला मंगला गौरी व्रत 4 जुलाई को है। जबकि आखरी मंगला गौरी व्रत 29 अगस्त को है। अधिक मास का पहला मंगला गौरी व्रत 18 जुलाई को है।

मंगला गौरी व्रत का महत्व

दोस्तो, सावन का पावन महीना भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस महीने इनका पूजन विशेष कृपा प्रदान करता है। ऐसे में सावन के मंगलवार को माता पार्वती का पूजन सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति करवाता है। विधि विधान से मां गौरी का पूजन और व्रत पति और संतान के स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए अत्यंत लाभकारी है।

मंगला गौरी की व्रत कथा

मंगला गौरी की व्रत कथा इस प्रकार है:

धर्मपाल नामक एक अमीर व्यापारी रहता था। उसकी एक सुंदर पत्नी थी। पर दोनों की कोई संतान नहीं थी जिससे दोनों दुखी थे। भगवान की कृपा से उन्हें एक पुत्र प्राप्त हुआ पर उसे श्राप मिला कि सोलह वर्ष की आयु में सांप के काटने से उसकी मृत्यु हो जाएगी। किंतु सोलह वर्ष की आयु से पहले ही उसकी शादी हो गई थी। उसकी पत्नी मंगला गौरी का व्रत किया करती थी। जिसके प्रभाव से उसे आशीर्वाद मिला कि वो कभी विधवा नही होगी। इसी तरह धर्मपाल के बेटे को सौ वर्ष की लंबी आयु मिली। इस कारण नवविवाहिताएं गौरी माता के व्रत का पालन करती हैं ताकि उन्हें अखंड सौभाग्य का सुख प्राप्त हो सके।

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मंगला गौरी पूजन सामग्री

मंगला गौरी पूजन सामग्री इस प्रकार है:

  • कपूर
  • माचिस
  • पवित्र मिट्टी (मां की प्रतिमा बनाने के लिए)
  • कलश
  • अगरबत्ती
  • गेहूं, चावल
  • सोलह धूप बत्तियां
  • चौकी
  • वस्त्र
  • पुष्प
  • आटा
  • आम पल्लव
  • चौमुखी दीया 
  • बेलपत्र
  • सिंदूर

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मंगला गौरी पूजन विधि

  • सुबह उठकर सबसे पहले स्नानादि से निवृत्त हो जाएं।
  • फिर चौकी पर वस्त्र बिछाएं।
  • चौकी पर फूल और चावल को एक तरफ रखें और श्री गणेश की प्रतिमा की स्थापना करें।
  • फिर चौकी के एक कोने पर गेहूं रख कर कलश रखें। उसमें जल भरा हो।
  • कलश में आम पल्लव डालें। 
  • फिर चौमुखी दीया जलाएं साथ ही सोलह बत्तियां भी जलाएं। कपूर जलाएं।
  • सबसे पहले श्री गणेश की पूजा करें।
  • फिर मिट्टी के सकोरे में आटा भरें। इसपर सुपारी रखें। इस आटे में दक्षिणा दाल दें। फिर बेल पत्र चढ़ाना है।
  • अब श्री गणेश की पूजा के बाद कलश का पूजन करें। कलश पर बेलपत्र और सिंदूर न चढ़ाएं।

मंगला गौरी व्रत में क्या खाना चाहिए

मंगला गौरी व्रत करनेवाली महिलाएं अधिकतर फलाहार करती हैं। इस दौरान साबूदाना खीर, मेवा, दूध, फल वगेरह खाया जा सकता है। कोशिश होनी चाहिए कि इस दिन नमक का प्रयोग न करें।

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मंगल गौरी व्रत उद्यापन विधि

मंगल गौरी व्रत उद्यापन (मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री) सोलह मंगलवार या बीस मंगलवार करने के बाद मंगलवार के दिन करें। विधि इस प्रकार है:

  • सुबह उठ कर नहा कर लाल वस्त्र पहनें।
  • एक चौकी लें। इसके चारों पैरों पर केले के खंभे बांध दें।
  • कलश की स्थापना करें। कलश के ऊपर मंगला गौरी मां की मूर्ति स्थापित करें।
  • मां को सुहाग का समान और वस्त्र अर्पित करें। 
  • कथा सुनें।
  • इसके बाद श्री गणेश का स्मरण कर मां गौरी का मंत्र पढ़ें। 
  • फिर सोलह दीपों से आरती करें।
  • इसके बाद ब्राह्मणों और सोलह सुहागिनों को भोजन करवाएं।
  • उद्यापन के दिन पति पत्नी साथ ने हवन करें।
  • दक्षिणा ब्राह्मणों को दें।
  • आखिरी में सासू मां के पैर छुएं और उन्हें चांदी के बर्तन में आभूषण, वस्त्र, सोलह लड्डू, सुहाग का समान आदि दें।

उम्मीद है हमारे पाठको को मंगला गौरी व्रत पूजन सामग्री, कथा, उद्यापन विधि आदि से जुड़ी उचित जानकारियां मिली होंगी। हमने ये जानकारी इंटरनेट और सामान्य अनुभवों के माध्यम से एकत्रित की है। आप पूजन की विधि के लिए जानकारों से एक बार विमर्श अवश्य कर लें।

FAQs

मंगला गौरी बीज मंत्र क्या है?

“ॐ श्री मंगला गौरी नमः”

मंगला गौरी व्रत 2023 कब से है?

4 जुलाई

मंगला गौरी व्रत का महत्व क्या है?

सावन के मंगलवार को माता पार्वती का पूजन सुहागिनों को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति करवाता है। विधि विधान से मां गौरी का पूजन और व्रत पति और संतान के स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए अत्यंत लाभकारी है।

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