Gangaur Festival in Hindi 2023: कुंवारी कन्या अगर मनचाहा पति चाहती है तो इस रीती से करें पूजा

गणगौर पर्व कब है, 2023, महत्व, इतिहास, कहानी,सजावट, गुलाबी गणगौर पूजा तिथि, गीत, मुहूर्त (Gangaur Festival in Hindi, Gangaur Puja meaning, celebration ideas, dress online, story)

दोस्तों, हिंदुओं द्वारा अनेक त्योहार मनाए जाते हैं। कुछ त्योहार प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने के लिए होते हैं तो कुछ हमारे प्रियजनों की मंगल कामना के लिए। हर त्योहार का अपना महत्व होता और इन सब के पीछे एक मान्यता छुपी होती है जो चिरकाल से चली आ रही होती है। इन्हीं त्योहारों में से एक है गणगौर पूजा। 

सुहागिनों के जीवन में गणगौर पूजा का बड़ा महत्व है। हालांकि इस पूजा को कुंवारी कन्याओं द्वारा भी किया जाता है। गणगौर पूजा में माता पार्वती और भोलेनाथ की आराधना की जाती है। ये त्योहार पति की सलामती और मनचाहा वर पाने के उद्देश्य से सुहागिनों व कुंवारी कन्याओं द्वारा मनाया जाता है।

आज का हमारा ये लेख गणगौर पूजा (gangaur festival in hindi) पर आधारित है। यहां हम आपको इससे जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।

Gangaur Festival in Hindi

गणगौर पूजा

 गणगौर पूजा की शुरुआत होली दहन के साथ होती है। इस साल गणगौर पूजा 8 मार्च को शुरू हुई है। इसका समापन 24 मार्च 2023 की शाम 4 बजकर 59 मिनट पर होगा। 

गणगौर पूजा के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है। ये त्योहार 16 दिनों तक चलता है।स्त्रियां साज श्रृंगार कर के माता पार्वती की आराधना करती हैं ताकि उनका दाम्पत्य जीवन खुशहाल रहे।

गणगौर पर्व का महत्व

गणगौर पूजा महिलाओं के साथ साथ पुरुषों के लिए महत्वपूर्ण है। जहां महिलाएं पति की लंबी आयु और दाम्पत्य सुख के लिए इस व्रत को करती हैं वही कुछ स्थानों पर पुरुष भी मनचाही पत्नी की कामना लिए इस व्रत को करते हैं। 

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गणगौर पूजा विधि

दोस्तो, गणगौर पूजा के लिए होली के दिन ही मंडप की स्थापना होती है। भोलेनाथ और मां पार्वती की मिट्टी की प्रतिमा बनाई जाती है। हर सुबह इनकी प्रतिमाओं की पूजा की जाती है।

 पूजा में रोली,हल्दी, मौली, चावल, फूल, दूब आदि का प्रयोग होता है। पूजा में चूरमे का भोग लगता है। 

इसके बाद आरती होती है। गणगौर के अंतिम दिन पूजा के बाद इन प्रतिमाओं को जल में विसरजित कर दिया जाता है।

गणगौर की कहानी

गणगौर पूजा (gangaur festival in hindi) की चर्चित कथाओं में से एक कथा इस प्रकार है:

एक बार भोलेनाथ और मां पार्वती वन में विचरण कर रहे थे। विचरण करते हुए मां पार्वती ने भोलेनाथ से कहा कि प्रभु! मुझे प्यास लग रही है। इस पर भोलेनाथ ने कहा कि उस ओर पक्षी उड़ रहे हैं यानि आसपास जल अवश्य होगा।

ऐसा सुन कर मां पार्वती उस ओर गईं। वहां उन्हें एक नदी बहती दिखी।मां पार्वती ने जब जल को अंजलि में उठाया तो उनके हाथ में दूब आ गया। जब उन्होंने दोबारा उन्होंने अंजलि में जल लेने की चेष्टा की तो इस बार अंजली में टेसू के फूल आए। 

जब तीसरी बार मां पार्वती ने अंजली में जल लिया तो ढोकला नामक एक फल हाथ आया। इसके बाद भोलेनाथ ने उन्हें बताया कि आज चैत्र शुक्ल तीज है। विवाहित महिलाएं अपने सुहाग के लिए गौरी पूजन करती हैं।

ऐसे में फूल, दूब आदि जो गौरी मां को चढ़ाए गए थे वो नदी में बह कर उनके पास आ रहे थे। इसके बाद मां पार्वती ने भोलेनाथ से प्रार्थना की कि हे प्रभु! आप मेरे माता पिता का नगर बनवा दीजिए जिससे कि स्त्रियां वहां आ कर गणगौर का पूजन करें। मां पार्वती ने स्वयं उनके सुहाग के रक्षण का आशीर्वाद दिया।

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गणगौर मेला

गणगौर पूजा (gangaur festival in hindi)  गणगौर मेले का आयोजन राजस्थान, मध्यप्रदेश जैसे राज्यों में होता है। विशेषकर राजस्थान के उदयपुर के पास और मध्यप्रदेश में श्योपुर जैसी जगहों पर गणगौर मेला लगता है।

Gangaur Poshak Online

गणगौर पूजा (gangaur festival in hindi) के मौके पर पारंपरिक परिधान धारण करने चाहिए। इस अवसर पर साड़ी या राजपूती पोशाक विशेष तौर पर पहना जाता है। अगर आपको गणगौर पोशाक ऑनलाइन (Gangaur Poshak Online) खरीदनी है तो इस लिंक पर क्लिक करना ना भूलें।

Gangaur par Kavita in Hindi

” गणगौर का पावन अवसर

  आया ले कर संदेश

   मां गौरी का आशीष है बरसे

  सुहाग रहे अशेष

  गण और गौर का पावन मिलन

  सदियों से प्रेम का बने प्रतीक

  अरज हमारी भी स्वीकारो मैया

  साजन का मिले स्नेह,

  बनी रहे प्रीत की रीत”

FAQs

गणगौर पर क्या पहनें?

साड़ी या राजपूती पोशाक

गणगौर कब है 2023?

8 मार्च को शुरू हुई है,  इसका समापन 24 मार्च 2023 की शाम 4 बजकर 59 मिनट पर होगा।

गणगौर का अर्थ क्या है?

गण और गौर यानी शिव और पार्वती।

गुलाबी गणगौर क्या है?

राजस्थान के नाथद्वारा में चैत्र की पंचमी को गुलाबी गणगौर मनाई जाती है. इस दिन भगवान को गुलाबी वस्त्र पहनाया जाता है.

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