सीता स्वयंवर: Sita Swayamvar Story in Hindi

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दोस्तों, रामायण हर भारतवासी के लिए आस्था का विषय है। भगवान श्री राम और माता सीता की अनुपम लीला को वर्णित करता रामायण हम सबकी आस्था और श्रद्धा को समेटे हुए है। मनुष्य रूप में भगवान की अनुपम लीला आज भी हमें कर्म, सत्यता और कर्तव्यनिष्ठा का पाठ पढ़ाती है।

 आज हम इसी विषय को ध्यान में रख कर आप तक सीता स्वयंवर से जुड़ी रोचक कथा आप तक पहुंचा रहे हैं। मां सीता और प्रभु श्री राम आखिर मनुज रूप में कैसे एक दूसरे के हुए, इस लेख के माध्यम से आपको जानने को मिलेगा। तो पाठकों, इस लेख को पूरा ज़रूर पढ़िएगा।

सीता स्वयंवर की कहानी

सीता स्वयंवर का भव्य आयोजन किया गया था। इस स्वयंवर की शर्त ये थी कि जो वीर महादेव शिव के धनुज पर प्रत्यंचा चढ़ा लेगा, वो सीता का वर बनने योग्य होगा। दरअसल, भगवान विश्वकर्मा द्वारा बनाए गए इस शिव धनुष को परशुराम जी ने महाराज जनक के पूर्वज को दिया था। जहां बड़े बड़े शूरवीर भी इस धनुष को हिला तक नहीं पाते थे, वहीं माता सीता बाल्यकाल से ही आसानी से उठा लेती थीं।

ऐसा देख महाराज जनक समझ चुके थे कि सीता कोई आम कन्या नहीं हैं, इसलिए इनका वर भी कोई दिव्य पुरुष ही होगा। इस संकल्प में बाद सही समय आने पर सीता स्वयंवर का आयोजन होता है। इस स्वयंवर में एक से बढ़ कर एक योद्धा शामिल होते हैं।

श्री राम अपने गुरु वशिष्ठ और अनुज लक्ष्मण के साथ इस समारोह का हिस्सा बने। समारोह शुरू होने पर बड़े बड़े योद्धाओं ने शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने की कोशिश की। पर प्रत्यंचा चढ़ाना तो दूर, उनसे ये धनुष हिला भी नहीं।

ऐसा देख राजा जनक बड़े दुखी और व्यथित हुए। उन्हें लगा कि इस संसार में ऐसा कोई भी नहीं जो सीता के योग्य हो। ऐसा सोच कर उन्होंने कहा कि क्या सीता कुंवारी रह जाएगी, जिस धनुष को सीता उठा लेती है, उसे कोई हिला भी नहीं पाया। 

ऐसा सुन कर सभा में मौजूद लक्ष्मण क्रोधित हो उठे। उन्होंने अपने अग्रज श्री राम से धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने का आग्रह किया, जिसे श्री राम ने अस्वीकार कर दिया। बाद में श्री राम के गुरु वशिष्ठ उन्हें समारोह में हिस्सा लेने का आदेश देते हैं। गुरु का आदेश सुन कर श्री राम धनुष के निकट जाते हैं।

श्री राम का आकर्षक व्यक्तित्व देख सभी का ध्यान उन पर जाता है। सबसे पहले श्री राम ने धनुष को प्रणाम किया। इसके बाद एक ही झटके में श्री राम ने धनुष उठा लिया। पर जैसे ही उन्होंने प्रत्यंचा चढ़ाई, धनुष दो हिस्सों में टूट जाता है। शिव धनुष टूटने के बाद भी श्री राम विनम्र भाव से खड़े थे। इस प्रकार सीता स्वयंवर की शर्त पूरी होती है। चारों ओर से श्री राम पर पुष्प वृष्टि होती है। फिर सीता जी वरमाला श्री राम को पहनाती हैं।

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सीता स्वयंवर चौपाई अर्थ सहित

सीता स्वयंवर से संबंधित चौपाइयां और उनका अर्थ:

“प्रभु दोउ चापखंड महि डारे। 

देखि लोग सब भए सुखारे।।

कौसिकरूप पयोनिधि पावन। 

प्रेम बारि अवगाहु सुहावन।।” 

अर्थ: श्री राम ने शिव धनुष के दोनों खंड धरती पर डाल दिए। ये देख उपस्थित गण सुखी हुए। विश्वामित्र रूपी सिंधु में प्रेम रूपी अथाह नीर भरा है..”

“रही भुवन भरि जय जय बानी।

धनुषभंग धुनिजात न जानी।।

मुदित कहहिं जहं तहं नर नारी।

भंजेउ राम संभुधनु भारी।।”

अर्थ: ब्रह्मांड में जय जयकार गूंजने लगी, जिससे धनुष टूटने की आवाज़ सुनाई नहीं पड़ती। नर नारी प्रसन्न हो कर कह रहे कि श्री राम जी ने शिवजी के धनुष को तोड़ा..”(सोर्स: गूगल)

सीता स्वयंवर धनुष का नाम

सीता स्वयंवर में जिस शिव धनुष का वर्णन हुआ है उसका नाम पिनाक था। ये धनुष “प्रलय” के लिए प्रयोग में आता था। विश्वकर्मा देव ने दो प्रभावशाली और शक्तिशाली धनुषों का निर्माण किया था। एक धनुष का नाम पिनाक था और एक का नाम शारंग था। शारंग नामक धनुष श्री हरि विष्णु को दिया गया और पिनाक भगवान शिव को। इसी पिनाक धनुष को महाराज जनक के पूर्वजों को दिया गया था।

सीता राम विवाह वर्णन

दोस्तों, सीता राम की संपूर्ण लीला प्रेम, त्याग, कर्तव्य और सत्य के इर्द गिर्द घूमती है। राम सिया का विवाह मार्गशीष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को संपन्न हुआ। आज इसी दिन को विवाह पंचमी कहा जाता है। सीता राम के साथ साथ उर्मिला लक्ष्मण, मांडवी भरत, श्रुत्कीर्ति शत्रुघ्न का विवाह भी हुआ था। इस दिन राम सिया की छवि इतनी मनोरम थी कि उस आभा वर्णन कर पाना असम्भव सा है।  माना जाता है कि विवाह पंचमी के दिन जो दंपति सिया राम की पूजा करते हैं, उनका वैवाहिक जीवन सुखद होता है।

राम सीता का विवाह कहां हुआ था

दोस्तो, वाल्मीकि रामायण के हिसाब से राम सीता का विवाह नेपाल स्थित जनकपुर में किया गया था। आज भी नेपाल के जनकपुर में ये दिन बेहद खास माना जाता है। यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। जनकपुर में राम सिया के कई विख्यात मंदिर मौजूद हैं।

FAQs

राम विवाह कब है 2023?

17 दिसंबर को

राम और सीता का विवाह कब हुआ था?

मार्गशीष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को

सीता माता की शादी कितनी उम्र में हुई?

कुछ मान्यताओं के अनुसार सीता जी का विवाह छह वर्ष की आयु में हुआ।

रामायण में सीता कौन बनी थी ?

दीपिका चिखलिया

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