Chandrayaan 3 : भारत को चाँद तक पहुँचाने का सपना इन महिलाओं की मदद से हुआ पूरा

चंद्रयान 3 के मुख्य वैज्ञानिक कौन है, नाम Chandrayaan 3 scientists team name list in hindi

दोस्तों, चंद्रयान 3 के चांद के साउथ पोल पर उतरने के साथ ही एक नया इतिहास रच चुका है। भारत के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने पूरी दुनिया में देश का सर गर्व से ऊंचा किया है। एक सौ चालीस करोड़ भारतीयों के दिलों की धड़कन बन चुके चंद्रयान 3 को पूरी दुनिया सलाम कर रही है। खास बात ये है कि इस मिशन की सफलता में महिला वैज्ञानिकों की एक अहम भागीदारी है। मिशन चंद्रयान 3 केवल चंद्रमा पर भारत की सफलता को ही नहीं दर्शाता है बल्कि इस बात को भी सिद्ध करता है कि भारत की धरती पर महिला सशक्तिकरण का बोलबाला बढ़ रहा है।

दोस्तों, आज के इस आर्टिकल में हम आपको उन “मास्टर माइंड्स” से रूबरू करवाने जा रहे हैं जिनकी कठोर मेहनत, लगन और विवेक की बदौलत भारत ने Chandrayaan 3 चंद्रमा पर सफलता का परचम लहराया है। इस लेख को लिखने में हमें गर्व की अनुभूति हो रही है। हमें उम्मीद है कि हमारे पाठक भी इन विभूतियों के बारे में पढ़ कर गौरवांवित होंगे।

यहाँ पढ़ें: चंद्रयान-3 मिशन क्या है

कल्पना कालाहस्ती

Chandrayaan 3 मिशन के एसोसिएट डायरेक्टर के तौर पर काम कर चुकीं कल्पना का संबोधन आज आपने ज़रूर सुना होगा। कल्पना शुरू से हीं एक मेधावी छात्रा रही हैं। कल्पना का बचपन से ही इन्होंने इसरो में जॉब करने का सपना था। कल्पना ने मूलरूप से चित्तूर जिले से आती हैं। इन्होंने चेन्नई से बीटेक की पढ़ाई पूरी की है। आपको बता दें कि कल्पना के पिता एक हाई कोर्ट कर्मचारी थे और मां एक गृहणी हैं। कल्पना ने वर्ष 2000 में बतौर एक वैज्ञानिक इसरो में अपने करियर की शुरुआत की थी।

करियर के शुरुआती दिनों में कल्पना ने श्रीहरिकोटा में काम किया। बाद में इनका ट्रांसफर बैंगलोर हो गया। दोस्तों, कल्पना ने अब तक पांच सेटेलाइट्स के डिज़ाइन में हिस्सा लिया है। कल्पना चंद्रयान 2 मिशन का भी हिस्सा रह चुकी हैं।

मुथैया वनीता

Chandrayaan 3 प्रोजेक्ट की डेप्युटी डायरेक्टर मुथैया वनीता चंद्रयान 2 मिशन में भी बतौर प्रोजेक्ट डायरेक्टर कर चुकी हैं। वनीता को स्पेस क्राफ्ट्स और लैंडर के बारे में व्यापक ज्ञान है। साथ ही ये डिजिटल सिग्नल प्रोसेसिंग में पारंगत हैं। वनीता एक इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम इंजीनियर हैं। साल 2006 में मुथैया वनीता को एस्ट्रोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ़ इंडिया ने सर्वश्रेष्ठ फीमेल साइंटिस्ट अवार्ड से नवाज़ा था। दोस्तों, वनीता उन चंद महिलाओं में से एक हैं जिन्हें लूनर मिशन की अगुआई करने का मौका मिला।

ऋतु करिधल

ऋतु करिधाल इसरो के वरिष्ठ और अनुभवी वैज्ञानिको में से एक हैं। ऋतु ने “Chandrayaan 3” की लॉन्चिंग टीम का एक अहम भूमिका निभाई है। दोस्तों, चंद्रयान 2 के वक्त सॉफ्ट लैंडिंग में दिक्कत आई थी। इसके बाद से सॉफ्ट लैंडिंग पर खास ध्यान दिया गया। “चंद्रयान 3” के समय सॉफ्ट लैंडिंग की मुख्य ज़िम्मेदारी ऋतु करिधल को ही सौंपी गई थी। आज ऋतु की मेहनत रंग लाई है। दोस्तों, ऋतु करिधल ने मिशन डायरेक्टर की भूमिका बखूबी अदा की है। आपको बता दें कि चंद्रयान 3 मिशन से पहले भारत के मार्स मिशन में भी ऋतु डिप्टी ऑपरेशन डायरेक्टर के रूप में कार्य कर चुकी हैं।

डॉ एस सोमनाथ

दोस्तों, चंद्रयान 3 मिशन की सफलता से आज भारत गौरवांवित है। चंद्रयान 3 मिशन इसरो अध्यक्ष डॉ एस सोमनाथ की देखरेख में पूरा किया गया है। सोमनाथ इसरो के दसवें अध्यक्ष हैं।1 जुलाई 2023 को इन्हें अध्यक्ष के पद के लिए चुना गया। आपको बता दें कि एस सोमनाथ व्हीकल स्ट्रक्चर सिस्टम के एक्सपर्ट हैं। इन्होंने साल 1985 में इंडियन स्पेस रिसर्च एजेंसी के लिए काम करना शुरू किया था। इन्हें चंद्रयान के पहले और दूसरे मिशन में भी शामिल किया गया था। डॉ सोमनाथ को पद्मश्री, इसरो वैज्ञानिक पुरस्कार, शांतिस्वरूप पुरस्कार आदि से सम्मानित किया जा चुका है।

एम शंकरन

दोस्तों, एम शंकरन को सैटेलाइट बनाने के क्षेत्र में तीन दशकों से भी अधिक का अनुभव है। इन्होंने चंद्रयान 1 और 2, मंगलयान आदि में भी हिस्सा लिया है। खास बात ये है कि शंकरन को “पावर हाउस” भी कहा जाता है। बात इनकी शिक्षा की करें तो इन्होंने भारतीदासन यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में मास्टर्स की डिग्री ली है। वर्ष 2021 में एम शंकरन को यूआर राव सैटेलाइट सेंटर के निर्देशक के रूप में नियुक्त किया गया। आपको बता दे कि चंद्रयान 3 की टेस्टिंग की ज़िम्मेदारी शंकरन और उनकी टीम की थी ताकि चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान 3 टिक सके।

पी वीरमुथुवेल

चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक सफलता के सूत्रधार हैं पी वीरमुथुवेल। पी वीरमुथुवेल चंद्रयान 3 मिशन के निर्देशक हैं। पी वीरमुथुवेल ने अपनी शुरुआती शिक्षा विल्लुपुरम से की। आगे चल कर उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया। 2014 में पी वीरमुथुवेल को इसरो में एक वैज्ञानिक के तौर पर अपनी सेवा देने का मौका मिला। पी वीरमुथुवेल ने चंद्रयान 2 में हुई गलतियों से सीखते हुए नए उपकरण और एल्गोरिथम पर काम किया। इनकी दूरदर्शिता और लगन ने आज चंद्रयान 3 मिशन की सफलता को सुनिश्चित किया है।

उम्मीद है चंद्रयान 3 मिशन से जुड़ी ये जानकारियां आपकी पसंद आई होंगी। ऐसी और भी जानकारियों के लिए हमारी साइट पर ज़रूर आएं।

अन्य पढ़े –

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top