1857 की क्रांति का कारण एवं परिणाम

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1857 की क्रांति भारतीय इतिहास के अहम पन्नों में से एक है। इस क्रांति को भारतीय स्वतंत्रता के प्रथम संग्राम के रूप में भी जाना जाता है। 10 मई, 1857 के दिन मेरठ में शुरू हुई इस क्रांति ने अंग्रेज़ी हुकूमत की जड़ें हिला दी थीं। इस विद्रोह ने ब्रितानी सत्ता को इस असलियत से वाकिफ करवाया था कि इसकी उल्टी गिनती कभी भी शुरू हो सकती है। इस विद्रोह के बाद से ही अंग्रेज़ी हुकूमत ने अपनी पैठ बनाए रखने के लिए नए नए प्रपंच शुरू किए। साथ ही 1857 की क्रांति के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी का भी अंत हो गया था।

दोस्तों, अगर आप 1857 की क्रांति और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं को विस्तार से जानने के लिए इच्छुक हैं तो नीचे दी गई जानकारियों को ज़रूर पढ़ें।

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1857 की क्रांति की शुरुआत

दोस्तों,1857 की क्रांति ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आम भारतीयों का करारा जवाब था। इसकी शुरुआत मेरठ के शहर से हुई थी। इसकी आग धीरे धीरे बरेली, कानपुर, झांसी, अवध, दिल्ली आदि स्थानों में फैलती चली गई। वैसे तो ये 1857 की क्रांति सेना के विद्रोह से शुरू हुई थी, पर आगे चल कर जनव्यापी विद्रोह में तब्दील हो गई। हालांकि ब्रिटिश इतिहासकार इस क्रांति को एक मामूली सैनिक विद्रोह बताते हैं, पर सच्चाई ये है कि इस विद्रोह की आग में ब्रितानी सत्ता बुरी तरह झुलस गई थी।

29 मार्च, साल 1857, ये वो दिन था जब 34 वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री, बैरकपुर में तैनात मंगल पांडे ने एक अंग्रेज अधिकारी पर गोली चलाई। मंगल पांडे ने “मारो फिरंगी को” ये नारा भी दिया था। इसके बाद 08 अप्रैल को आज़ादी की लड़ाई की पहली गोली चलानेवाले वीर मंगल पांडे को फांसी दे दी गई थी। फिर आधिकारिक तौर पर 10 मई के दिन 1857 की क्रांति शुरू हुई। 

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1857 की क्रांति के नायक

1857 की क्रांति दिल्ली से ले कर राजस्थान के इलाकों में भी फैली थी। हम आपको क्षेत्र और उस क्षेत्र से जुड़े नायक के नाम बताने जा रहे हैं। साथ अंग्रेज़ उनका सामना जिस अंग्रेज़ी दमनकर्ता से हुआ था उसका नाम भी दिया जा रहा है:

क्षेत्रनायकदमनकर्ता
झांसीरानी लक्ष्मीबाईसर ह्यूरोज़
जगदीशपुर, पटनाबाबू कुंवर सिंह, पीर अलीविलियम टेलर
इलाहाबादलियाकत अलीजनरल नील
बरेलीखान बहादुर खानकैम्पबेल
गोरखपुरगजाधर सिंह
मथुरादेवी सिंह
राजस्थानजयदयाल, हरदयाल
दिल्लीबहादुरशाह ज़फरनिकोलसन, हडसन
लखनऊबेगम हज़रत महलकैम्पबेल
कानपुरनानासाहेब कैम्पबेल
ग्वालियरतात्या टोपे

1857 की क्रांति के कारण

1857 की क्रांति के मुख्य कारण इस प्रकार हैं:

ब्रिटिश सरकार के द्वारा आर्थिक शोषण

आर्थिक शोषण चरम सीमा पर पर पहुंच चुका था। “डॉक्ट्रिन ऑफ लैप्स” की मदद से ब्रिटिश उन भारतीय शासकों के राज्य हड़पने की फिराक में थे जिनका कोई उत्तराधिकारी नहीं था। साथ ही ईस्ट इंडिया कंपनी ने अफीम, चाय एवं अन्य उत्पादों पर अपना एकाधिकार कर के भारत के व्यापार और धन पर नकारात्मक प्रभाव डाला था।

सामाजिक और धार्मिक कारण

अंग्रेजों ने एनलिस्टमेंट एक्ट की शुरू की। जिसके बाद सिपाहियो को एनफील्ड राइफल्स में गाय और सुअर की चर्बी के उपयोग वाले कारतूस मुंह से खींचने थे। इस तरह अंग्रेजों ने हिंदू और मुसलमानों की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने का काम किया।

सैन्य कारण

भारतीय सिपाहियों की स्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी। उन्हें अत्यंत कठोर वातावरण में रखा जाता था। उनकी पदोन्नति नहीं की जाती थी। बेहद कम वेतन पर काम करनेवाले भारतीय सिपाही लंबे समय तक अपने परिवार से भी दूर रहते थे। ऐसे में भारतीय सिपाहियो में ब्रितानी हुकूमत को ले कर काफी आक्रोश था।

राजनीतिक कारण

अंग्रेजों ने धीरे धीरे भारतीय राज्यों को हथियाना शुरू कर दिया था। इसका सबसे सटीक उदाहरण है, अवध का विलय जिसे कुशासन के आधार पर किया गया था। अपने राज्यों को बचाने के लिए कई शासक अंग्रेजों पर निर्भर हो चुके थे। 

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1857 की क्रांति के परिणाम 

1857 की क्रांति के मुख्य परिणाम इस प्रकार हैं:

ईस्ट इंडिया कंपनी के शासनकाल का अंत

1857 की क्रांति के बाद ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को खत्म कर के 1858 में ब्रिटिश क्राउन ने प्रशासन को अपने हाथ में ले लिया था।

ब्रिटिश पॉलिसी में परिवर्तन

ब्रिटिश सरकार ने अपने सिरे से कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। इनमें से एक था भारतीय सरकार अधिनियम 1858 जिसके तहत ईस्ट इंडिया कंपनी का अंत हुआ। भारत के गवर्नर जनरल को वाइसरॉय कहा जाने लगा। साथ ही बोर्ड ऑफ कंट्रोल और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स खत्म कर दिए गए। इनकी जगह भारत सचिव के साथ भारतीय परिषद बनाई गई।

अर्थव्यवस्था में बदलाव

ब्रिटिश सत्ता ने अपनी सुविधा के लिए आधुनिक बैंकिंग प्रणाली, टेलीग्राफ, रेलवे आदि की स्थापना की।

भारतीय राष्ट्रवाद की नई लहर

1857 की क्रांति ने भारतीय राष्ट्रवाद का बिगुल बजाया। अब लोग और भी जागरूक हो गए। इसके बाद भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन हुआ जिसे कई लोग स्वतंत्रता की लड़ाई का एक अहम हिस्सा मानते हैं।

सेना का पुनर्गठन हुआ

अंग्रेज़ी हुकूमत ने विशाल सेना रखने की कोशिश की ताकि भविष्य में विद्रोह आसानी से दबाया जा सके। सेना में जातीयता को प्राथमिकता दी। भारतीय सैनिकों की संख्या घटाई गई।

FAQs

1857 की क्रांति की शुरुआत कहां से हुई?

10 मई, 1857 के दिन मेरठ में शुरू

1857 की क्रांति की शुरुआत किसने की?

29 मार्च, साल 1857, ये वो दिन था जब 34 वीं बंगाल नेटिव इन्फेंट्री, बैरकपुर में तैनात मंगल पांडे ने एक अंग्रेज अधिकारी पर गोली चलाई। मंगल पांडे ने “मारो फिरंगी को” ये नारा भी दिया था। इसके बाद 08 अप्रैल को आज़ादी की लड़ाई की पहली गोली चलानेवाले वीर मंगल पांडे को फांसी दे दी गई थी।

प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन 1857 के कारणों का वर्णन कीजिए।

आर्थिक शोषण चरम सीमा पर पर पहुंच चुका था, अंग्रेजों ने हिंदू और मुसलमानों की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंचाने का काम किया, भारतीय सिपाहियों की स्थिति बिल्कुल भी अच्छी नहीं थी।

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