मौर्य साम्राज्य: इतिहास, स्थापना, पतन

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दोस्तों, मौर्य साम्राज्य का काल भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस काल में प्राचीन भारत से जुड़ी कई प्रमुख घटनाएं हुईं। चंद्रगुप्त मौर्य, चाणक्य, अशोक जैसी हस्तियों ने एक से बढ़ कर एक ऐसे उदाहरण पेश किए हैं जिनका ज़िक्र सैंकड़ों सालों के बाद भी हो रहा है। दोस्तों, मौर्य साम्राज्य चंद्रगुप्त जैसे शूरवीर, चाणक्य जैसे महान शिक्षक और अशोक जैसे महान सम्राट का काल है। आजकल प्रतियोगी परीक्षाओं में भी मौर्य साम्राज्य से जुड़े कई प्रश्न पूछे जाते हैं। ऐसे में हम आपके लिए मौर्य साम्राज्य से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां ले कर आए हैं। ये आपके लिए उपयोगी रहेंगी।

मौर्य साम्राज्य की स्थापना

दोस्तों, मौर्य साम्राज्य से पहले भारतीय उपमहाद्वीप के एक बड़े हिस्से पर नंद साम्राज्य का शासन था। एक किंवदंती के अनुसार नंद वंश के शासक ने आचार्य चाणक्य का अपमान किया था। जिसके बाद चाणक्य ने नंद वंश को मिट्टी में मिलाने की कसम खाई। बताया जाता है कि इस घटना के बाद चाणक्य तक्षशिला आ गए। वहां पहुंचने से पहले उनका परिचय रास्ते में युवा चंद्रगुप्त से हुआ। चाणक्य चंद्रगुप्त के गुणों से प्रभावित हुए और उनमें भावी सम्राट को देखा।

ये वो समय था जब सिकंदर भारत की ओर बढ़ रहा था। पर उसकी सेना ने ब्यास नदी से आगे बढ़ने से मना कर दिया। सिकंदर ने अपनी सेना के अधिकांश हिस्से को सिंधु नदी के पश्चिम में तैनात कर दिया और वो वापिस जाने लगा। पर इसी बीच 323 बी सी को सिकंदर की मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु के बाद उसके सेनापतियो के नेतृत्व में राज्यों को स्वतंत्र कर दिया गया। इसके बाद 322 बी सी में चंद्रगुप्त ने मौर्य साम्राज्य की नींव रखी।

साम्राज्य का नाममौर्य साम्राज्य
स्थापना किसने की चंद्रगुप्त मौर्य ने 
शुरुआत कब हुईचंद्रगुप्त मौर्य ने 322 बी सी में गद्दी संभाली 
अंतवर्ष 185 बी सी में आखरी मौर्य शासक की हत्या के बाद मौर्य वंश का अंत हुआ
अंतिम शासकबृहद्रथ
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मौर्य साम्राज्य का इतिहास

आइए, मौर्य साम्राज्य के इतिहास को जानने के लिए मौर्य साम्राज्य के प्रमुख शासकों के बारे में जानते हैं:

चंद्रगुप्त मौर्य

चंद्रगुप्त मौर्य ने 322 बी सी में गद्दी संभाली थी। जिस वक्त चंद्रगुप्त गद्दी पर बैठे उस वक्त भारत की राजनीति में काफी उथल पुथल थी। 317 बी सी तक उन्होंने पंजाब और सिंध के प्रांतों पर अपना अधिकार कर लिया। इसके बाद नंद शासक घनानंद को मार कर मौर्य साम्राज्य का विस्तार किया।

बिंदुसार मौर्य 

बिंदुसार चंद्रगुप्त के पुत्र और उत्तराधिकारी थे। इन्होंने 298 बी सी में गद्दी संभाली। बिंदुसार के बारे में अधिक जानकारियां उपलब्ध नहीं है। कुछ जानकारों के मुताबिक बिंदुसार ने दक्षिण की ओर राज्य का विस्तार किया था।

अशोक मौर्य

अशोक को विश्व भर में एक योग्य शासक के तौर पर जाना जाता है। इन्होंने 272 में राजगद्दी संभाली। अशोक का सम्राज्य हिंदुकुश से ले कर दक्षिण, बांगलादेश से ले कर इराक तक फैला हुआ था। इन्होंने अपने शासन के सातवें वर्ष कलिंग युद्ध किया, जिसके बाद से बताया जाता है कि इस नरसंहार के बाद अशोक ने शांति को अपना लिया। अशोक ने कई स्तूप, मठ, स्तंभ आदि के निर्माण करवाए। अशोक के चर्चित शिलालेख इस प्रकार हैं:

शिलालेखस्थान
रूपनाथजबलपुर ज़िला, मध्य प्रदेश
बैराटराजस्थान के जयपुर ज़िले में
मस्कीरायचूर ज़िला, कर्नाटक
येर्रागुडीकर्नूल ज़िला, आंध्र प्रदेश
जौगढ़गंजाम जिला, उड़ीसा
धौलीपुरी जिला, उड़ीसा
गुजर्रादतिया ज़िला, मध्य प्रदेश
राजुलमंडगिरिबल्लारी ज़िला, कर्नाटक
गाधीमठरायचूर ज़िला, कर्नाटक
ब्रह्मगिरिचित्रदुर्ग ज़िला, कर्नाटक
पल्किगुंडुगवीमट के पास, रायचूर, कर्नाटक
सहसरामशाहाबाद ज़िला, बिहार
सिद्धपुरचित्रदुर्ग ज़िला, कर्नाटक
जटिंगा रामेश्वरचित्रदुर्ग ज़िला, कर्नाटक
येर्रागुडीकर्नूल ज़िला, आंध्र प्रदेश
अहरौरामिर्ज़ापुर ज़िला, उत्तर प्रदेश
दिल्लीअमर कॉलोनी, दिल्ली
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मौर्य साम्राज्य का पतन कब हुआ

मौर्य साम्राज्य का पतन सम्राट अशोक की मृत्यु के बाद शुरू हो गया था। वर्ष 185 बी सी में आखरी मौर्य शासक की हत्या के बाद मौर्य वंश का अंत हुआ। दोस्तों, अब हम आपको मौर्य साम्राज्य के पतन के मुख्य कारणों से अवगत करवाते हैं:

i)सम्राट अशोक के अयोग्य उत्तराधिकारी

सम्राट अशोक ने मौर्य साम्राज्य को ऊंचाई तक पहुंचाया था। पर उनकी मृत्यु के बाद साम्राज्य को कोई योग्य सम्राट नहीं मिल पाया। अशोक के उत्तराधिकारियों में संचालन करने का हुनर नहीं था। जिसका नतीजा ये हुआ कि धीरे धीरे साम्राज्य बिखरता चला गया। 

ii)करों का बोझ

मौर्य साम्राज्य काफी विस्तृत था। सेना के रख रखाव के लिए भी बड़ी मात्रा में धन की आवश्यकता थी। पतंजलि के अनुसार राजकोष भरने के लिए जनता की धार्मिक भावना को कर के धन का संग्रह किया। अर्थशास्त्र में भी करों की व्याख्या है।

iii)राष्ट्रीय भावना का अभाव

मौर्य काल में राजनीतिक दृष्टि से राष्ट्रीय भावना का था। इसलिए किसी भी आक्रमण के विरोध में राज्यों में एकता देखने को नहीं मिलती है।

iv)प्रांतीय पदाधिकारियों के अत्याचार 

मौर्य साम्राज्य की सीमाएं दूर दूर तक फैली थीं। राजा तक हर बात की खबर नहीं हो पाती थी। ऐसे में प्रांतीय अधिकारी जनता में अत्याचार करते थे। कई बार अमात्यों के विरुद्ध जनता ने विद्रोह किया।

मौर्य साम्राज्य का अंतिम शासक

मौर्य वंश के अंतिम शासक का नाम बृहद्रथ था। इन्होंने 187-185 बी सी तक शासन किया। दोस्तों, बृहद्रथ की हत्या पुष्यमित्र शुंग ने की। पुष्यमित्र शुंग बृहद्रथ का सेनापति था। बृहद्रथ की हत्या उनकी अपनी सेना के सामने की गई। बृहद्रथ की हत्या के बाद शुंग वंश की शुरुआत हुई।

FAQs

शुंग वंश का अंतिम शासक कौन था?

अंतिम सम्राट का नाम देवहूति था।

मौर्य वंश का अंत किसने किया

पुष्यमित्र शुंग

मौर्य वंश का पहला शासक कौन था

चंद्रगुप्त मौर्य

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