Parenting Tips in hindi : माता पिता के लिए पेरेंटिंग टिप्स

माता पिता के लिए पेरेंटिंग टिप्स (Parenting Tips in hindi, for mothers, toddlers, new born, parents)

दोस्तों हम अपने अनुभव से बहुत कुछ सीखते हैं। आज जो आपकी सोचने समझने की क्षमता है, हो सकता है उस मुकाबले आप दस साल पहले इतने परिपक्व ना हो। आपका दिमाग और आपकी समझ अपरिपक्व हों। पर बदलते वक्त के साथ आप अपनी जिंदगी में हर रोज नए अनुभवों से गुजरते हैं, अपनी गलतियों से सीखते हैं और अपने व्यक्तित्व में एक नया बदलाव महसूस करते हैं। दोस्तों जिंदगी का यही तो फलसफा है कि पुरानी बातों से सीखो और भविष्य को ध्यान में रखकर अपनी आदतों में सुधार करो।

 अब बात खासतौर पर महिलाओं की करते हैं। अपनी छोटी उम्र से लेकर अपनी वृद्धावस्था तक उन्हें हर दौर में चुनौतियों से गुजरना पड़ता है।इनके लिए राहें आसान नहीं होती। पर आत्मविश्वास और दृढ़ निश्चय के भरोसे एक महिला अपने व्यक्तित्व का निर्माण करती है। हां, इस दौरान हो सकता है कि उससे कुछ गलतियां हो जाएं, हो सकता है कि उसकी कोशिशें कामयाब ना हों।

हम आपको कुछ महत्वपूर्ण सलाहें बतलाएंगे जो आप अपने अनुभवों के आधार पर अपने बच्चों को दे सकती हैं। इससे आपके बच्चों में अनुशासन भी बना रहेगा। तो आइए इस आर्टिकल को पूरा पढ़िए और जानिए कि आपके अनुभव आपके बच्चों के काम कैसे आ सकते हैं।

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बच्चों को समझदार बनाना चाहते हैं तो उन्हें ये टिप्स दें:

हर मां की तरह आप भी चाहती होंगी कि आपका बच्चा होनहार हो। लेकिन हर बात बच्चे आसानी से नहीं समझते। उन्हें समझाने के लिए आपको अपने जीवन से जुड़े अनुभवों को रोचक तरीके से उन तक पहुंचाना होगा ताकि बच्चा सुने और समझे। इस लिहाज़ से हम आपको कुछ महत्वपूर्ण सलाहों की सूची देने जा रहे हैं जो आपकी मुश्किलों को आसन बनाएगा।जब भी आप अपने बच्चों को कुछ सिखाना चाहते हों, बताना चाहते हों, तो इन बातों पर विशेष ध्यान दें:

मेहनत का कोई विकल्प नहीं

दोस्तों जिंदगी से हमेशा शिकायत करना, रोष प्रकट करना,असंतुष्ट रहना, खुद से बेईमानी करने के बराबर है। ऐसा जरूरी नहीं है कि जन्म लेने के बाद से ही हमारे पास सारे संसाधन मौजूद हो। साथ ही यह भी जरूरी नहीं कि हम किसी काम में शुरू से ही बेहद अच्छे हो। वो कहते हैं ना, कोयला तप कर हीं हीरा बनता है!  इसलिए जीवन में हमें मेहनत से कभी जी नहीं चुराना चाहिए। आपकी मेहनत आपको निखार सकती है और मुसीबतों से उबार भी सकती है। दोस्तो मेहनत का महत्व जब आप बच्चों को समझाएंगे तो बच्चे अपना काम लगन से करेंगे।

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हर किसी के विचार आपके लिए ज़रूरी नहीं

दोस्तों आपने यह जुमला तो सुना ही होगा “कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना”। इसकी सार्थकता तब स्पष्ट होती है जब जीवन में आप कोई निर्णय लेने पर आते हैं और तब लोग आपको चार बातें सुनाते हैं। हो सकता है आपका निर्णय उनकी विचारधारा से प्रभावित हो जाए। जब हम कम उम्र के होते हैं या अपरिपक्व होते हैं तो हम अक्सर प्रभावित हो जाते हैं। परंतु हमें जरूरत है अपने सिद्धांतों, मूल्यों और विचारों से जुड़े रहने की। आप हर किसी को इतना अधिकार ना दें जिससे सामने वाले का व्यक्तित्व आप पर हावी हो जाए। ऐसी सलाह से बच्चे के मन में खुद के लिए भरोसा जागेगा और वो दूसरों से अधिक प्रभावित नहीं होगा।

अपनी तुलना किसी और से ना करें

दोस्तों हर व्यक्ति खास होता है, अलग होता है। हमें अपने व्यक्तित्व की इज्जत करनी चाहिए। दूसरों से तुलना करना हमारे आत्मविश्वास को घात पहुंचाता है। खास तौर पर महिलाओं को इस बात को समझना होगा कि उन्हें अपनी शारीरिक संरचना की तुलना अन्य महिलाओं से नहीं करनी चाहिए। समाज में कई बार दोहरे मापदंड अपनाए जाते हैं। लोग सुंदरता के लिए अलग-अलग बेंचमार्क बनाते हैं और जब कुछ महिलाएं इन बेंचमार्क्स पर खड़ी नहीं उतरती, तो उन पर तंज भी कसा जाता है। यह आर्टिकल महिलाओं को भी विशेष तौर पर यह बताना चाहता है कि कद, काठी, रंग, चाल आदि बाहरी आयामों से आपका व्यक्तित्व परिभाषित नहीं होता है। आप स्वयं को स्वीकारें और कभी भी अपने साथ हो रही टीका टिप्पणी के सामने ना झुकें। ऐसी सलाह आपके बच्चे को आत्मविश्वास से भरेगी और वो हीन भावना से दूर रहेगा।

यह ज़रूरी नहीं कि हर कोई आपसे खुश हो

अक्सर यह सुना जाता है कि महिलाएं त्याग की मूरत होती हैं।पर सही मायने में महिलाओं को अपनी खुशियों और प्राथमिकताओं की बलि चढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है। दूसरों के बारे में अच्छा सोचना एक अच्छी बात है, परंतु अपने व्यक्तित्व को प्राथमिकता देना ,उसका ख्याल रखना, उसकी जरूरतों को पूरा करना एक बहुत अच्छी बात है। महिलाओं के लिए यह बिल्कुल जरूरी नहीं कि वह दूसरों को खुश करने की होड़ में चलती रहें। इसके अलावा एक और बात का ख्याल रखना भी जरूरी है कि कभी भी अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता नहीं करना चाहिए। चाहे कोई भी हो आप उस के सामने अपनी दुर्बलता जाहिर ना करें। हमेशा याद रखें दुनिया कमजोर का दमन करना चाहती है। इस सलाह से आपका बच्चा खुद पर अच्छी तरह फोकस कर पाएगा।

रुकना गलत नहीं है

दोस्तों आजकल का ज़माना एक अंधी दौड़ में भाग रहा है ।किसी के पास अपनी पर्सनल लाइफ के लिए समय नहीं है। लोग अंधाधुंध सक्सेस और वेल्थ के पीछे भाग रहे हैं।अगर इस दौड़ती-भागती जिंदगी में कुछ पल अपने लिए निकाल लें, अपने काम से ब्रेक लें,तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है। कभी आप अपने संघर्ष से थक जाएं या किसी जॉब पर आपका मन ना लगे, तो आप उसे छोड़ दें या कुछ वक्त के लिए आप खुद को वक्त देना चाहे तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

गलतियां करना गलत नहीं है

दोस्तों जीवन की दौड़ में जरूरी नहीं आपको हर मुकाम पर सफलता मिले हो सकता है कभी आपको मनलायक रिजल्ट ना मिले ,जॉब ना मिले, मनपसंद साथी ना मिले या सकारात्मक परिस्थितियां ना मिले।आपका मन निराशा और मायूसी की चादर में लिपटा हो। आपने कई ऐसी गलतियां की होंगी, जिन्होंने आपके जीवन में नकारात्मक प्रभाव डाला हो। पर जरूरी बात यह है कि आप अपनी गलतियों से कैसे सीखते हैं। गलतियों से मिले अनुभव को हम अपने व्यक्तित्व निर्माण में प्रयोग कर सकते हैं। हार के बाद निराशा का आना प्राकृतिक है किंतु निराशा से ऊपर उठना भी हमारी जिम्मेदारी है।

उम्मीद है, ये लेख आपका उन बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित करवाने में सफल रहा जो आपके बच्चे के व्यक्तित्व निर्माण और अनुशासन के लिए ज़रूरी हैं। हालांकि इस लेख में बताई गई सलाहें किसी भी उम्र वर्ग के लिए सही बैठेंगी। हम आशान्वित हैं कि दिया गया लेख पाठकों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।

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