भक्ति कविता, राष्ट्रभक्ति कविता, राधा कृष्ण, बच्चों देश भक्ति कविता, Bhakti Quotes in Hindi, Desh Bhakti Quotes, Krishna Bhakti Quotes, Shiv Bhakti Quotes in Hindi, Bhakti Quotes for Instagram , कृष्ण भक्ति शायरी
दोस्तो, आज के लेख में हम आपको भक्ति कोट्स (Bhakti Quotes in Hindi) देने जा रहे हैं। हम ने कुछ शायरी, कविता एवं विचार लिखे हैं। इन्हें भगवान के विभिन्न रूपों को समर्पित किया है। साथ ही देश भक्ति पर भी हमने अपने विचारों को कविता का रूप दिया है। उम्मीद है कि आपको ये लेख अच्छा लगेगा।
भक्ति कविता
“ओ कान्हा! बांवरा मन मेरा
तुझे घट घट ढूंढे
कभी मंदिर में झाँकू तेरे लिए…
कभी पुकारू तुझे गले रुंधे
पर जब तेरी भक्ति का प्रसाद
पाया मेरा हृदय अगाध
तब से है मानूं,
तब से है जानूं..
तू मुझमें बसा हुआ
मेरा कण कण तेरा रचा हुआ..
ये जीवन तेरा दिया आशीष है
मेरा कर्म तेरी दी हुई सीख है!”
पढ़ें: मंच संचालन के लिए शायरी
देश भक्ति कविता लिखी हुई
“अभिमान कुंजी बन जाता है
जब प्रश्न राष्ट्र का आता है
कण-कण में जो आन बहे
शोणित में जब आभार रहे
भूमि प्रेम जब सर्मपण का
संग लिए, दायित्व का आधार रहे
पशु से मनुज, मनुज से महात्मा
तब बन जाते हैं, प्रज्ञा-पूंजी निवेश
कर जो राष्ट्रहित को शीर्ष पर लाते हैं!”
Bhakti Quotes in Hindi
“हृदय में संवेदना जब घर कर लेती है
करुणा की महिमा जब भाल चढ़ लेती है
जीवनरूपी मृगतृष्णा में दया जब ढाल बन लेती है
भक्ति ईश कृपा के प्रसाद सम
मनुज के व्यक्तित्व का आधार बन लेती है..”
Desh Bhakti Quotes in Hindi
“वो हृदय क्या जिसमें निज भू हेतु
न हो स्पंदन
वो अंतर्मन क्या जिसमें में निज भू हित हेतु
न हो मंथन”
सुनें: कृष्ण प्रेम शायरी 2 लाइन
भगवान पर सुविचार
“जो मनुज करे अच्छे कर्मों का गुणगान
साथ चले उसके सदैव, करुणामयी भगवान”
Krishna Bhakti Quotes in Hindi
“हे माधव, केशव, गिरधर, कान्हा
तुझ से ही शुरू हुए हैं हम
तुझमें ही है एक दिन मिल जाना”
Shiv Bhakti Quotes in Hindi
“शिव भक्ति में मन रमे
तो दुख काहे को होए
कर स्तुति हाथ जोड़
बाबा औढरदानी के..
बाबा दे मोहे ऐसी भक्ति कृपा
जिसमें मेरो तन मन खोए..”
“पर्वतीपति सम न दूजा कोई महादानी
दे दिया मुक्तहस्त संपदा, मुद्रा
न की कोई मनमानी
त्रिलोक स्वामी हो कर भी
ले घूंट कालकूट निज ग्रीवा..
तपस्वी, योगी बन कैलाश रहे
शिव शम्भू महादेवा”
श्री राम पर कविता
“है भारतवर्ष का सौभाग्य
देखा है इस भू ने राम राज्य
कालजयी इसकी गाथा है
कर्म परोपकार और संयम का पाठ
ये स्वर्णिमयुग सिखलाता है..
नहीं दीप्त आभूषण, ऊंचे प्रासाद
किसी राजा के श्रृंगार
त्याग समर्पण दमके जिस सम्राट के भाल
जो रहे मर्यादित व कृपाल
वही धन्य है भूपाल..
परमेश्वर की नर लीला में ये
उपदेश अनवरत दिख जाता है
तभी तो राम सा दूजा राजा
ढूंढने पर भी कहां मिल पाता है..”
अन्य पढ़ें: